Sunday, June 13, 2010

कुछ चीज़े, जो आज भी नहीं बदली...

९ साल हो गए कुछ लोगो को जानते हुए जिनसे मैं कॉलेज के पहले दिन मिला था, जो आज भी मेरे काफी करीब है. कुछ तो बात है उनमे (और शायद मुझमे भी) की आज भी हम बिलकुल वैसे ही है जैसे ९ साल पहले थे. आज भी हम वैसे ही बाते करते है जैसे कॉलेज के दिनों में, आज भी हमारी हरकतों में इतनी परिपक्वता आने के बाद भी हम उसी नादानी से पेश आते है. हम ज़िन्दगी की राहो में इतनी आगे आ चुके है, कुछ लोगो को अपनी राहो के हमसफ़र भी मिल गए है और कुछ को उनके अंजाम, फिर भी कुछ बाते है जो आज भी नहीं बदली...

रोल नंबर थाट्टी एट (३८)..रोहित माथुर उर्फ़ कांचा, आज भी एक ही notebook से अपना MBA पूर्ण कर चुका है.
सप्तदीप उर्फ़ चंदा आज भी अपने पैसे खर्च करने से पहले दुसरे की जेब देखता है.
निर्मल उर्फ़ ताऊ आज भी बाथरूम में आधा घंटा लगता है और अभी तक कोई ये पता नहीं लगा पाया है की वो वहा करता है या अखबार पढता है.
खूखा उर्फ़ राजेश सॉफ्टवेर इंजिनियर बन चुका है.... ऐसे ही थोड़ी ना..
हरीश आज भी अपने कई घंटे कंप्यूटर पर गेम्स खेलने में व्यतीत करता है.
नितिन आज भी कई बार फिलोसोफिकल बाते करता है.
झंवर उर्फ़ क्लास का सबसे छोटा बच्चा आज भी बड़ा नहीं हो पाया और हर काम हड़बड़ी में ही करता है.
प्रतीक आज भी L***D बोलने से पहले १०० बार सोचता है, शरमाता है और फिर भी नहीं बोल पाता है.
प्रभात उर्फ़ लम्पट उर्फ़ मेंढक जैसी आँखों वाला आज भी स्कूल की बच्चियो से फ़ोन पर बाते करता है और उसके बाहों के नीचे का पसीने वाला हैंडपंप इतनी गर्मी के बाद भी नहीं सूखा.
TP उर्फ़ त्रिभुवन पांडे का उज्जैन प्रेम आज भी कम नहीं हुआ है और हर सप्ताहांत पर वो मुंबई से उज्जैन निकल जाते है.
ब्लैक पर्ल उर्फ़ कृष्णेंदु आज भी उतना ही काला है.
वैभव जैन उर्फ़ विक्टर आज भी सीधा खड़ा नहीं हो पाता है.
सिन्धी उर्फ़ तरुण आज भी चिन्गादों बनकर घूमता है.
कासिफ उर्फ़ मोटा और भी ज्यादा मोटा हो गया है और आज भी सुबह ५ बजे उठ कर बैठ जाता है और २ बार पूरा अखबार पढ़ लेता है.
मैं यानी वॉडी आज भी वैसा ही दुबला हूँ.

शायद कुछ चीज़े वक़्त के साथ कभी ना बदल पाए जैसे हमारी दोस्ती...