Monday, September 5, 2011

परम पूज्य शिक्षक...

गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः,
गुरुर साक्षात परब्रह्मा, तस्मै श्री गुरुवे नमः

भारतीय इतिहास में सर्वोच्च पद शिक्षक का रहा है फिर वो द्रोणाचार्य हो या वशिष्ठ ....
पर मेरे engg में कुछ ऐसे शिक्षक रहे है जो ना ही होते तो बेहतर होता..जैसे आप ये वाक्य पढ़िए...
Both of you three come here...
अब आप समझ ही गए होंगे की हमने किस कठिन तपस्या से इंजीनियरिंग पास की है, इतनी मेहनत तो एकलव्य को भी नहीं करना पड़ी होगी...

ऐसे ही कई शिक्षक हमे इंजीनियरिंग के कार्यकाल में पढ़ाने आये और चले गए...पर इतनी बदलियों के बाद भी हम नहीं बदले...हा हा...
उन्ही परम पूज्य शिक्षको के लिए मेरा यह ब्लॉग समर्पित है जिसमे में उनसे जुडी कुछ बाते बताना चाहूँगा...
हमारे एक शिक्षक थे, नाम था अमित...जो पढ़ाते कम थे और पूछते ज्यादा थे...कभी कभी तो वो सब भी पूछ लेते थे जो उन्हें भी पता नहीं होता था. वो जेम्स बांड से बहुत ही प्रभावित थे..
एक और उनके ही साथी थे विनीत...जो लडको के viva १०-१५ मिनट में ख़तम कर देते थे और जो हमारी क्लास की माल लडकिया थी उनके १ घंटे तक चलते थे...और उनसे जो प्रश्न पूछे जाते थे वो भी माशा अल्लाह..."आपका पसंदीदा फिल्मो का नायक कौन है और क्यों..."
५वे semester में हमे एक विषय था...डाटाबेस...उसमे हमे कम से कम ८-९ अलग अलग शिक्षक पढ़ाने आये और वो ६ महीनो में एक ही चीज़ पढ़ा पाए...information और data में अंतर..जिसका उत्तर है .."data is processed information"....
एक और शिक्षिका थी, जिनकी शादी के पैसे के लिए हम विद्यार्थियों ने धन इकठठा किया था...
हमारे महा ग्यानी शिक्षक जिन्हें हम प्यार से "बाबा" बुलाया करते थे..जो सिफ कक्षा में २-३ विद्यार्थियों को ही पढ़ाने आते थे...पूरी कक्षा से उन्हें कोई भी सरोकार नहीं था..."आप लोग समझते नहीं है.."
"मग्गा" जिनके गले का silencer ख़राब हो चूका था...वो ना जाने किस भाषा में पढ़ाते थे..कुछ भी समझ नहीं आता था...

हमारी प्रक्टिक्ल्स की फाइल दुल्हन से भी ज्यादा सजी-धजी होती थी...भले ही अन्दर से कुरूप हो, बहार से अच्छी लगना चाहिए...भला हो दीपक सर का...और हमारी उस senior का जिसने ये प्रथा चलायी.
एक और शिक्षिका थी जिनका पसंदीदा वाक्य था "ऐ तू इधर आ रे...", समझधार को इशारा ही काफी है.
अली सर, जो हमेशा मजे या मोज़े की ही बात करते थे.
एक और बहुत भावुक महोदय थे, मुकेश जी, जो हमारी बदमाशियों के चक्कर में इस्तीफा तक दे चुके थे, वो अलग बात है की उन्होंने उसे बगैर किसी वजह से वापस ले लिया था, कुछ लोगो ने तो उनकी विदाई समारो ह के लिए चंदा (don't get confused with Sapta) तक एकत्रित कर लिया था.
तो अब आप लोग समझ ही गए होंगे कितना मुश्किल था हमारे लिए इंजीनियरिंग पास करना.
फिर भी आज शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में उन सभी शिक्षको को शत शत नमन.

धन्यवाद. जय हिंद. मेरा भारत महान और इस भारत के शिक्षक भी महान.